सद्गुरु की परवरिश: बेटी राधे ने बताए बचपन के खास सवाल

सद्गुरु की बेटी राधे जग्गी ने अपनी परवरिश के बारे में बताया कि उनके पिता उनसे बचपन में दो सवाल पूछते थे जिससे उनकी टेंशन दूर हो जाती थी। सद्गुरु का मानना है कि बच्चों को दंडित करने के बजाय उनसे बात करना चाहिए। राधे ने बताया कि उनके पिता उन्हें डांटने के बजाय उनसे पूछते थे 'क्या हुआ?' और 'क्या किया?'। बच्चों को बिना डर के माता-पिता से बात करने में सहज महसूस करना चाहिए। गलती करने पर बच्चों को डांटने के बजाय उनसे पूछना चाहिए कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। सद्गुरु की तरह परवरिश के लिए बच्चों के मार्गदर्शक बनें।

Mar 6, 2025 - 14:33
सद्गुरु की परवरिश: बेटी राधे ने बताए बचपन के खास सवाल
हाल ही में, सद्गुरु की बेटी, राधे जग्गी ने अपनी परवरिश के बारे में जानकारी साझा की। राधे ने बताया कि वह बचपन में काफी नटखट थीं, लेकिन उनके पिता का उनके साथ व्यवहार करने का तरीका सबसे अलग था। वह उनसे सिर्फ दो प्रश्न पूछते थे।

सद्गुरु का मानना है कि बच्चों की परवरिश में उन्हें दंडित करने के बजाय, उनके साथ बैठकर आराम से बातचीत करना और उनसे सवाल पूछना अधिक महत्वपूर्ण है। इस दृष्टिकोण से, उनकी बेटी में भावनात्मक बुद्धिमत्ता, आत्मविश्वास और व्यक्तिगत विकास हुआ है।

अपने एक हालिया इंटरव्यू में, सद्गुरु की बेटी राधे ने खुलासा किया कि उनका बचपन दूसरों से अलग क्यों था। उनके अनुसार, उनके पिता उन्हें डांटने या सजा देने के बजाय, उनके साथ बैठकर बात करते थे और उनसे केवल दो सवाल पूछते थे। ये दो सवाल थे: 'क्या हुआ?' और 'क्या किया?'। ये सवाल सरल लग सकते हैं, लेकिन राधे को उनके साथ खुलकर बात करने में आसानी होती थी। सद्गुरु का उद्देश्य अपनी बेटी को डराने के बजाय उसे जागरूक और जिम्मेदार बनाना था।

राधे के अनुसार, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि बच्चे बिना किसी डर के अपने माता-पिता से बात करने में सहज महसूस करें। उन्हें यह नहीं लगना चाहिए कि बात करने पर उन्हें डांटा या चिल्लाया जाएगा। जब बच्चे खुलकर अपने माता-पिता से बात करते हैं, तो उनके रिश्ते में विश्वास और ईमानदारी बढ़ती है।

गलती करने पर बच्चों को डांटने या उनकी आलोचना करने के बजाय, उनसे यह पूछना बेहतर है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। आलोचना केवल बच्चों के आत्मविश्वास को कम करती है और उन्हें कोई लाभ नहीं पहुंचाती है।

यदि आप सद्गुरु के समान अपने बच्चे का पालन-पोषण करना चाहते हैं, तो आपको यह सीखना होगा कि अपने बच्चे के मार्गदर्शक बनें, न कि हिटलर की तरह व्यवहार करें। बच्चों पर कठोर नियम लागू करने के बजाय, उन्हें तर्क के साथ जिम्मेदारी से निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करें।

सद्गुरु की तरह अपने बच्चों की परवरिश करने के लिए, आपको उन पर हुकुम चलाने के बजाय उनसे बात करनी चाहिए और उन्हें उनकी गलतियों का एहसास दिलाना चाहिए। इससे बच्चों को अपनी गलतियों को समझने में मदद मिलेगी और आपके साथ उनका रिश्ता सकारात्मक बना रहेगा।