रेल संशोधन विधेयक: राज्यसभा में पारित, अश्विनी वैष्णव का बयान

राज्यसभा ने ध्वनिमत से रेल (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया, जिसका उद्देश्य रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन और कानूनों को सरल बनाना है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दुर्घटना सुधार के कदमों पर प्रकाश डाला और निजीकरण या केंद्रीयकरण से इनकार किया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से संसद के अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने रेल मंत्री पर निशाना साधा, जिसके जवाब में वैष्णव ने रेलवे के विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने रेलवे सुरक्षा में निवेश और दुर्घटनाओं में कमी का उल्लेख किया।

Mar 11, 2025 - 09:29
रेल संशोधन विधेयक: राज्यसभा में पारित, अश्विनी वैष्णव का बयान
राज्यसभा ने रेल (संशोधन) विधेयक, 2024 को ध्वनिमत से पारित कर दिया है।

यह विधेयक रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन और रेलवे कानूनों को सरल बनाने के उद्देश्य से लाया गया है।

सदन में चर्चा के दौरान, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेलवे दुर्घटनाओं को कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस विधेयक से संसद के अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस विधेयक से रेलवे का निजीकरण या केंद्रीयकरण नहीं होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार रेलवे के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और संसद के अधिकारों की रक्षा करेगी।

मंत्री ने विपक्ष को सलाह दी कि वे महाकुंभ के दौरान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ जैसी घटनाओं का राजनीतिकरण न करें। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस घटना से सबक लेते हुए स्टेशनों पर भीड़ प्रबंधन में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें प्रमुख स्टेशनों पर वेटिंग हॉल का निर्माण शामिल है।

कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने रेल मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि केवल एक ‘टेक्नोक्रेट’ को मंत्री बनाने से रेलवे का विकास नहीं होगा। जवाब में, वैष्णव ने कहा कि वह एक टेक्नोक्रेट और पूर्व नौकरशाह हैं, लेकिन यदि उनकी प्रतिबद्धता में कोई कमी है तो उन पर सवाल उठाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने रेलवे के विद्युतीकरण में अभूतपूर्व काम किया है, जो पहले 60 वर्षों में नहीं हुआ था।

वैष्णव ने बताया कि रेलवे सुरक्षा में 1.14 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। उन्होंने कहा कि पहले जहां सालाना औसतन 131 रेल दुर्घटनाएं होती थीं, वहीं अब यह संख्या घटकर 30 रह गई है। उन्होंने यह भी कहा कि ममता बनर्जी के रेल मंत्री रहते हुए लगाए गए टक्कर-रोधी उपकरण सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करते थे, जिसके कारण पिछली सरकार ने उन्हें खारिज कर दिया था।