विंध्यवासिनी धाम: नवरात्रि में दर्शन का आसान तरीका
नवरात्रि में मां विंध्यवासिनी के दर्शन की योजना बना रहे हैं तो यात्रा की तैयारी पहले से कर लें। सही रास्तों और नियमों का पालन करके आप आसानी से दर्शन कर सकते हैं। विंध्याचल में एयरपोर्ट नहीं है, इसलिए वाराणसी या प्रयागराज एयरपोर्ट का इस्तेमाल करें। वहां से टैक्सी या बस ले सकते हैं। विंध्याचल में दो रेलवे स्टेशन हैं: विंध्याचल रेलवे स्टेशन और मिर्जापुर रेलवे स्टेशन। त्रिकोण दर्शन में तीन शक्तिपीठों के दर्शन किए जाते हैं: मां विंध्यवासिनी, कालीखोह और अष्टभुजा देवी।

अगर आप नवरात्रि में मां विंध्यवासिनी के दर्शन की योजना बना रहे हैं, तो यात्रा की तैयारी पहले से कर लें। सही रास्तों और नियमों का पालन करके आप आसानी से दर्शन कर सकते हैं। त्रिकोण दर्शन का सही क्रम अपनाकर आप आध्यात्मिक लाभ पा सकते हैं।
विंध्यवासिनी धाम की यात्रा का मार्गदर्शन
नवरात्रि में विंध्यवासिनी धाम में भक्तों की बहुत भीड़ होती है। हर कोई बिना दिक्कत के माता के दर्शन करना चाहता है। यह लेख आपकी यात्रा को आसान बनाएगा।
कैसे पहुंचे विंध्याचल धाम?
हवाई मार्ग: विंध्याचल में एयरपोर्ट नहीं है, इसलिए वाराणसी (68 किमी) या प्रयागराज (100 किमी) एयरपोर्ट का इस्तेमाल करें। वहां से टैक्सी या बस ले सकते हैं। नवरात्रि में पहले से बुकिंग करना बेहतर है।
रेल मार्ग: विंध्याचल में दो रेलवे स्टेशन हैं:
विंध्याचल रेलवे स्टेशन: यह मंदिर से सिर्फ 300 मीटर दूर है। नवरात्रि में यहां सभी ट्रेनों का दो मिनट का ठहराव होता है।
मिर्जापुर रेलवे स्टेशन: यह 8 किमी दूर है, जहां से ऑटो या टैक्सी मिल सकती है।
सड़क मार्ग: विंध्याचल उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों से जुड़ा है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से आने वाले रीवा-वाराणसी मार्ग का उपयोग कर सकते हैं। छत्तीसगढ़ से आने वाले सोनभद्र-मिर्जापुर मार्ग का इस्तेमाल कर सकते हैं। बिहार और झारखंड के लोग वाराणसी-प्रयागराज मार्ग से आ सकते हैं।
त्रिकोण दर्शन का महत्व
त्रिकोण दर्शन में तीन शक्तिपीठों के दर्शन किए जाते हैं:
1. मां विंध्यवासिनी (मुख्य मंदिर)
2. कालीखोह (महाकाली)
3. अष्टभुजा देवी (अष्टभुजा पहाड़ी)
मान्यता है कि त्रिकोण दर्शन से पाप नष्ट होते हैं और सुख-समृद्धि मिलती है।