ललित पाटीदार: चेहरे पर भेड़िए जैसे बाल, हनुमान कहकर पूजते हैं लोग
सोशल मीडिया पर ललित पाटीदार नाम खूब वायरल हो रहा है, जिनके चेहरे पर भेड़िए जैसे घने बाल हैं। नांदलेटा गांव के रहने वाले ललित को उनके चेहरे पर उगे 201.72 सेमी लंबे बालों के कारण गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया है। ललित को बचपन में अपने बालों से भरे चेहरे और शरीर के कारण काफी तानों का सामना करना पड़ा। ललित एक खास बीमारी से पीड़ित हैं, जिसे वेयरवुल्फ सिंड्रोम कहा जाता है। इसे वैज्ञानिक भाषा में हाइपरट्रिकोसिस के नाम से भी जाना जाता है।

सोशल मीडिया पर इन दिनों ललित पाटीदार नाम खूब चर्चा में है। ललित के चेहरे पर भेड़िए जैसे घने बाल हैं, जिसके चलते उनके चेहरे की असली पहचान छिप गई है।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज
नांदलेटा गांव के रहने वाले ललित को उनके चेहरे पर उगे 201.72 सेमी लंबे बालों के कारण गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया है।
बचपन में झेली परेशानियां
न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, ललित को बचपन में अपने बालों से भरे चेहरे और शरीर के कारण काफी तानों का सामना करना पड़ा।
बाल हनुमान के रूप में पूजा
एक समय था जब लोग ललित से डरते थे और उनका मजाक उड़ाते थे, लेकिन बाद में उन्हें बाल हनुमान के रूप में पूजा जाने लगा।
शर्म को बनाया गर्व
ललित ने इस मुश्किल सफर में हार नहीं मानी और अपने बालों वाले चेहरे और शरीर को गर्व से दिखाते हैं। वह सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरें और वीडियो भी पोस्ट करते हैं।
वेयरवुल्फ सिंड्रोम से पीड़ित
ललित एक खास बीमारी से पीड़ित हैं, जिसे वेयरवुल्फ सिंड्रोम कहा जाता है। इसे वैज्ञानिक भाषा में हाइपरट्रिकोसिस के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थिति उन जीन्स के कारण होती है जो शरीर पर बालों के विकास के लिए जिम्मेदार होते हैं।
जीन की भूमिका
हाइपरट्रिकोसिस मुख्य रूप से उन जीन्स के कारण होता है जो शरीर पर बालों के विकास के लिए जिम्मेदार होते हैं। मानव जाति के शुरुआती समय में इस तरह के घने बाल होते थे, लेकिन समय के साथ इनकी जरूरत कम होने से जीन निष्क्रिय होने लगा।
गर्भ में जीन का सक्रिय होना
हाइपरट्रिकोसिस के मामलों में, यह जीन गर्भ में सक्रिय हो जाता है, जिससे बच्चे के शरीर पर घने बाल उगते हैं। इस जीन के सक्रिय होने का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है।
संभावित कारण
विज्ञान के अनुसार, कुछ कारक जीन को सक्रिय कर सकते हैं, जैसे - कुपोषण, खराब आहार, खाने से जुड़े विकार, कुछ स्टेरॉयड, कैंसर और सेल म्यूटेशन, ऑटोइम्यून बीमारियां आदि।