भूकंप का खतरा: आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक ने जताई चिंता

आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक प्रो. जावेद मलिक ने म्यांमार में आए भूकंप के बाद भारत में भी ऐसे भूकंपों की आशंका जताई है। उन्होंने सगाइन फॉल्ट और गंगा-बंगाल फॉल्ट के बीच की जटिलताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक फॉल्ट की सक्रियता दूसरे को ट्रिगर कर सकती है। हिमालय क्षेत्र में सक्रिय फॉल्टलाइनों पर अधिक शोध की आवश्यकता है। म्यांमार का भूकंप भारत के लिए एक चेतावनी संकेत है, क्योंकि गंगा-बंगाल और सगाइन फॉल्ट के बीच कई अन्य फॉल्ट जोन मौजूद हैं। सगाइन और गंगा-बंगाल फॉल्ट के बीच ऊर्जा का संचय हो रहा है।

Mar 30, 2025 - 19:05
भूकंप का खतरा: आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक ने जताई चिंता
कानपुर: म्यांमार में आए विनाशकारी भूकंप के बाद, आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक प्रो. जावेद मलिक ने भारत में भी ऐसे भूकंपों की आशंका जताई है। उन्होंने सगाइन फॉल्ट और गंगा-बंगाल फॉल्ट के बीच की जटिलताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक फॉल्ट की सक्रियता दूसरे को ट्रिगर कर सकती है।

प्रो. मलिक के अनुसार, सगाइन फॉल्ट, जो अराकान से अंडमान और सुमात्रा तक फैला है, 150-200 वर्षों में भूकंपीय गतिविधि दिखाता है और अन्य फॉल्टलाइनों को भी प्रभावित कर सकता है। उन्होंने हिमालय क्षेत्र में सक्रिय फॉल्टलाइनों पर अधिक शोध की आवश्यकता पर बल दिया।

प्रो. मलिक ने पूर्वोत्तर और कश्मीर को भूकंपीय क्षेत्र 5 में बताते हुए, गंगा-बंगाल फॉल्ट में सगाइन फॉल्ट जैसी गतिविधियों का उल्लेख किया। उन्होंने म्यांमार के भूकंप को भारत के लिए एक चेतावनी संकेत बताया, क्योंकि गंगा-बंगाल और सगाइन फॉल्ट के बीच कई अन्य फॉल्ट जोन मौजूद हैं।

प्रो. मलिक ने कहा कि सगाइन और गंगा-बंगाल फॉल्ट के बीच ऊर्जा का संचय हो रहा है, जिससे एक भूकंप दूसरे को ट्रिगर कर सकता है। उन्होंने 2004 में सुमात्रा और 2005 में अंडमान में आए भूकंपों का उदाहरण देते हुए कहा कि अब उत्तर की ओर भूकंप आने की आशंका बढ़ रही है।