बिहार के लिट्टी-चोखा, चना सत्तू और बथुआ आम को मिला GI टैग
बिहार के लिट्टी-चोखा, चना सत्तू और बथुआ आम को जीआई टैग दिलाने की मुहिम शुरू हो गई है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU), सबौर ने इन उत्पादों के लिए औपचारिक आवेदन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस पहल का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना और बिहार की कृषि विरासत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है। BAU, सबौर में आयोजित एक बैठक में इन उत्पादों को जीआई टैग दिलाने के लिए आवेदन भेजने की मंजूरी दी गई। इस वर्ष, BAU, सबौर ने 30 उत्पादों के लिए जीआई पंजीकरण की दिशा में काम किया है।

बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU), सबौर ने इन उत्पादों के लिए औपचारिक आवेदन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस पहल का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना और बिहार की कृषि विरासत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है। BAU, सबौर में आयोजित एक बैठक में इन उत्पादों को जीआई टैग दिलाने के लिए आवेदन भेजने की मंजूरी दी गई। इस वर्ष, BAU, सबौर ने 30 उत्पादों के लिए जीआई पंजीकरण की दिशा में काम किया है, जिनमें से पहले ही आठ उत्पाद भेजे जा चुके हैं। अब कुल 11 कृषि उत्पादों को आधिकारिक रूप से जीआई पंजीकरण प्रक्रिया में शामिल किया गया है।
BAU के कुलपति डॉ. डी.आर. सिंह ने कहा कि जीआई पंजीकरण बिहार के विशिष्ट कृषि उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने और किसानों की आर्थिक समृद्धि बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। BAU के अनुसंधान निदेशक डॉ. अनिल कुमार सिंह ने कहा कि वे बिहार के अधिक से अधिक पारंपरिक कृषि उत्पादों को जीआई टैगिंग दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस पहल से बिहार की कृषि विरासत को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी और किसानों की आय में वृद्धि होगी।