दिल्ली एम्स में स्टाफ की कमी: मरीजों का इलाज प्रभावित
दिल्ली एम्स में डॉक्टरों और फैकल्टी मेंबर्स के कई पद खाली होने के कारण मरीजों के इलाज में देरी हो रही है। संसदीय समिति ने स्वास्थ्य मंत्रालय से इन खाली पदों को भरने का आग्रह किया है। रिपोर्ट में भूमि अधिग्रहण और बजट संबंधी समस्याओं का भी जिक्र है, जो AIIMS के विकास में बाधा बन रही हैं। समिति ने AIIMS में जल्द से जल्द खाली पदों को भरने और योग्य लोगों को आकर्षित करने के लिए बेहतर वेतन और सुविधाएं देने का सुझाव दिया है। दिल्ली के पास एक और AIIMS बनाने का भी सुझाव दिया गया है।

इस कमी के चलते मरीजों के इलाज में देरी हो रही है, जिसके कारण समिति ने स्वास्थ्य मंत्रालय से तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया है। रिपोर्ट में भूमि अधिग्रहण और बजट संबंधी समस्याओं का भी उल्लेख किया गया है, जो AIIMS के विकास में बाधा बन रही हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि AIIMS में 34.8% फैकल्टी के पद खाली हैं, जबकि गैर-शैक्षणिक पदों में 16.29% पद खाली हैं। सीनियर रेजिडेंट्स के 434 और जूनियर रेजिडेंट्स के 113 पद भी खाली हैं, जिससे अस्पताल का कामकाज प्रभावित हो रहा है। हालांकि, 12213 आउटसोर्स कर्मचारी काम कर रहे हैं, लेकिन डॉक्टरों और अन्य जरूरी स्टाफ की कमी अभी भी बनी हुई है, जिससे मरीजों को इलाज में देरी हो रही है।
संसदीय समिति ने स्वास्थ्य मंत्रालय से यह भी कहा कि AIIMS में जल्द से जल्द खाली पदों को भरा जाए और योग्य लोगों को आकर्षित करने के लिए बेहतर वेतन और सुविधाएं दी जाएं। समिति ने AIIMS को एक सरल भर्ती प्रक्रिया लागू करने का सुझाव दिया है, जिसमें योग्य उम्मीदवारों को आकर्षित करने के लिए टारगेट आउटरीच और प्रतिस्पर्धी कंपोजिशन पैकेज शामिल हों।
दिल्ली AIIMS में मरीजों की लंबी कतारें आम हैं, और कई बार गंभीर मरीजों को भी घंटों इंतजार करना पड़ता है। इसे देखते हुए समिति ने दिल्ली के पास एक और AIIMS बनाने का सुझाव दिया है, जिससे मरीजों को राहत मिलेगी और AIIMS पर बोझ कम होगा। एम्स को विश्व स्तरीय बनाने का एक मास्टर प्लान भी बनाया गया है, लेकिन भूमि अधिग्रहण और बजट की मंजूरी में देरी के कारण यह प्रोजेक्ट रुका हुआ है।