अमेरिकी F-47 बनाम चीनी J-36: छठी पीढ़ी के विमानों की जंग

अमेरिका और चीन छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने की दौड़ में हैं। अमेरिका के F-47 और चीन के J-36 विमानों में कड़ी टक्कर है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने F-47 की खूब तारीफ की है, जिसमें स्टेल्थ क्षमताएं और आधुनिक हथियार होंगे। वहीं, चीन का J-36 भी तीन इंजन और कई आधुनिक तकनीकों से लैस है, लेकिन कुछ विशेषज्ञ इसे छठी पीढ़ी का विमान मानने से हिचकिचा रहे हैं। दोनों देशों के ये विमान भविष्य में हवाई युद्ध की दिशा तय कर सकते हैं।

Mar 25, 2025 - 12:31
अमेरिकी F-47 बनाम चीनी J-36: छठी पीढ़ी के विमानों की जंग
अमेरिका और चीन के बीच छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को लेकर कड़ी प्रतिस्पर्धा चल रही है। दोनों देश इस तकनीक को हासिल करने के लिए ज़ोर लगा रहे हैं। अमेरिका अपने विमान को एफ-47 और चीन जे-36 नाम दे रहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एफ-47 के बारे में काफ़ी बातें की हैं। उन्होंने कहा कि इसमें अद्भुत क्षमताएं होंगी और यह अमेरिकी कंपनी बोइंग द्वारा बनाया जाएगा। ट्रंप ने यह भी दावा किया कि अमेरिका के दुश्मन इसे देख भी नहीं पाएंगे। अभी, लॉकहीड मार्टिन द्वारा निर्मित एफ-35 अमेरिकी वायुसेना का सबसे शक्तिशाली विमान है, जिसकी कीमत 80 मिलियन से 115 मिलियन डॉलर है। कुछ लोग इसे 'सफेद हाथी' भी कहते हैं। एफ-47 को एफ-22 रैप्टर की जगह लेने के लिए तैयार किया जा रहा है।

एफ-47 नाम के पीछे की कहानी यह है कि ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति हैं, लेकिन उनका कहना है कि यह सिर्फ़ एक संयोग है। इस विमान को आधिकारिक तौर पर नेक्स्ट जनरेशन एयर डोमिनेंस (NGAD) कहा जाता है, जिसका मकसद चीन और रूस जैसे देशों से मुकाबला करना है।

ट्रंप ने यह भी कहा कि एफ-47 अब तक का सबसे घातक विमान होगा और इसका परीक्षण कई सालों से गुप्त रूप से चल रहा है। उन्होंने इसकी गति, क्षमता और पेलोड की भी प्रशंसा की। उन्होंने यह भी कहा कि दूसरे देश भी इसे खरीदना चाहते हैं।

एफ-47 की विशेषताओं को गुप्त रखा जा रहा है, लेकिन इसमें स्टेल्थ क्षमताएं, उन्नत सेंसर और आधुनिक इंजन होंगे। यह स्वायत्त ड्रोन के साथ भी उड़ान भरेगा। इस विमान को बनाने में 20 बिलियन डॉलर की लागत आएगी, लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि यह लागत और भी बढ़ सकती है।

जनरल डेविड डब्ल्यू ऑल्विन के अनुसार, एफ-47 दुनिया का पहला चालक दल वाला छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों से एक्स-प्लेन NGAD तकनीक का परीक्षण चल रहा है।

चीन का जे-36 तीन WS-10C टर्बोफैन इंजन से चलता है। माना जा रहा है कि यह ऊंचाई पर तेज़ गति से उड़ान भरने के लिए बनाया गया है। इसमें उन्नत हथियार और सेंसर भी होंगे। इसकी लंबाई लगभग 22 मीटर और पंखों का फैलाव 20 मीटर है। कुछ लोगों का मानना है कि इसमें दो पायलटों के लिए कॉकपिट भी हो सकता है। जे-36 के पहले परीक्षण की तस्वीरें दिसंबर 2024 में सामने आई थीं। चीन का दावा है कि यह छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, लेकिन इसकी पुष्टि करना मुश्किल है।