यूपी में तीन राज्यों का विभाजन, अंबेडकर का सुझाव

भीमराव अंबेडकर की जयंती पर, उनकी किताब 'थॉट्स ऑन लिंग्विस्टिक स्टेट्स' में व्यक्त किए गए विचारों पर चर्चा हो रही है। अंबेडकर ने बड़े राज्यों को छोटे राज्यों में विभाजित करने का समर्थन किया था। उन्होंने उत्तर प्रदेश को तीन भागों में बांटने का प्रस्ताव रखा था, जिनकी राजधानी मेरठ, कानपुर और इलाहाबाद हो सकती थी। अंबेडकर ने सुझाव दिया था कि राज्यों को न केवल प्रशासनिक दक्षता के लिए, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी बांटा जाना चाहिए कि कोई भी क्षेत्र या समूह हाशिए पर महसूस न करे। छोटे राज्यों में जिम्मेदारी और जवाबदेही का लाभ होता।

Apr 15, 2025 - 11:14
यूपी में तीन राज्यों का विभाजन, अंबेडकर का सुझाव
भीमराव अंबेडकर जयंती के अवसर पर, उनकी पुस्तक 'थॉट्स ऑन लिंग्विस्टिक स्टेट्स' में व्यक्त किए गए विचारों पर व्यापक चर्चा हो रही है। अंबेडकर ने हमेशा बड़े राज्यों को छोटे राज्यों में विभाजित करने की वकालत की। उन्होंने उत्तर प्रदेश को तीन हिस्सों में विभाजित करने का प्रस्ताव रखा, जिनकी संभावित राजधानियाँ मेरठ, कानपुर और इलाहाबाद हो सकती थीं।

उत्तर प्रदेश और पूरे देश में संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जा रही है। 14 अप्रैल को हर वर्ष बाबा साहब की जयंती मनाई जाती है। सभी राजनीतिक दल इस दिन को मनाते हैं और श्रेय लेने की प्रतिस्पर्धा में जुटे रहते हैं। इस परिप्रेक्ष्य में, भीमराव अंबेडकर के कुछ विचारों पर ध्यान देना आवश्यक है।

संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 'थॉट्स ऑन लिंग्विस्टिक स्टेट्स' नामक एक पुस्तक लिखी, जिसमें उन्होंने छोटे राज्यों का समर्थन किया। 1955 में प्रकाशित इस पुस्तक में बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्यों को विभाजित करने की बात कही गई थी। 2000 में, बिहार से झारखंड और मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ को अलग किया गया, जिससे रांची और रायपुर क्रमशः उनकी राजधानियाँ बनीं।

अंबेडकर ने उत्तर प्रदेश को तीन राज्यों में विभाजित करने का प्रस्ताव भी रखा, जिनकी राजधानियाँ मेरठ, कानपुर और इलाहाबाद होनी चाहिए। उन्होंने प्रस्तावित किया कि प्रत्येक राज्य की जनसंख्या लगभग दो करोड़ होनी चाहिए, जिसे वे प्रभावी प्रशासन के लिए आदर्श मानते थे। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि बड़े भाषाई राज्यों का विचार लोकतांत्रिक सिद्धांतों के विपरीत है और पूरी तरह से असंगत है।

उत्तर प्रदेश को चार भागों में विभाजित करने का मुद्दा भी कई बार उठाया गया है। 2011 में, तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने पूर्वांचल, पश्चिम प्रदेश, बुंदेलखंड और अवध नामक चार राज्यों में विभाजन का प्रस्ताव रखा था, लेकिन केंद्र सरकार ने इस विचार का समर्थन नहीं किया।

अंबेडकर ने सुझाव दिया था कि राज्यों को केवल प्रशासनिक कुशलता के लिए ही नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी विभाजित किया जाना चाहिए कि कोई भी क्षेत्र या समुदाय उपेक्षित महसूस न करे। उनका मानना था कि बड़े राज्यों में माँगें अधिक होती हैं और नागरिकों का नियंत्रण कम होता है, जबकि छोटे राज्यों में जिम्मेदारी और जवाबदेही अधिक होती है।