प्रियंका गांधी की शपथ: नेहरू-गांधी परिवार का संसद में 71 साल पुराना इतिहास दोहराया
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने लोकसभा सांसद के रूप में शपथ ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें संसद सदस्य की शपथ दिलाई। इस शपथ के साथ ही गांधी-नेहरू परिवार का एक और सदस्य संसद में प्रवेश कर गया है। प्रियंका गांधी नेहरू परिवार की 16वीं सदस्य हैं, जिन्होंने लोकसभा में कदम रखा है। इस ऐतिहासिक क्षण ने एक बार फिर इस परिवार की संसदीय परंपरा को मजबूत किया।

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने लोकसभा सांसद के रूप में शपथ ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें संसद सदस्य की शपथ दिलाई। इस शपथ के साथ ही गांधी-नेहरू परिवार का एक और सदस्य संसद में प्रवेश कर गया है। प्रियंका गांधी नेहरू परिवार की 16वीं सदस्य हैं, जिन्होंने लोकसभा में कदम रखा है। इस ऐतिहासिक क्षण ने एक बार फिर इस परिवार की संसदीय परंपरा को मजबूत किया।
राहुल-प्रियंका की जोड़ी ने दोहराया इतिहास
प्रियंका गांधी के संसद में आने से 71 साल पुराना इतिहास भी दोहराया गया। 1953 तक लोकसभा में पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनकी बहन विजयलक्ष्मी पंडित एक साथ सदस्य थे। अब प्रियंका और राहुल गांधी के रूप में नेहरू-गांधी परिवार के भाई-बहन की जोड़ी संसद में साथ नजर आएगी। इस परिवार का भारतीय संसद से यह रिश्ता पीढ़ियों से चलता आ रहा है।
पहली लोकसभा में गांधी परिवार के पांच सदस्य
1951-52 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में नेहरू-गांधी परिवार के पांच सदस्य संसद पहुंचे थे। इनमें पंडित जवाहरलाल नेहरू, फिरोज गांधी, उमा नेहरू, विजयलक्ष्मी पंडित और श्योराजवती नेहरू शामिल थीं। नेहरू के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही यह परिवार भारतीय राजनीति का अभिन्न हिस्सा बन गया।
दूसरी लोकसभा में घट गई संख्या
1957 के दूसरे लोकसभा चुनाव में नेहरू-गांधी परिवार से तीन सदस्य संसद पहुंचे। इनमें पंडित नेहरू, उमा नेहरू और फिरोज गांधी शामिल थे। हालांकि, फिरोज गांधी का कार्यकाल बीच में ही खत्म हो गया, जब 1960 में उनका निधन हो गया।
तीसरी लोकसभा में सिर्फ एक सदस्य
1962 में हुए तीसरे लोकसभा चुनाव में नेहरू परिवार से सिर्फ पंडित नेहरू संसद पहुंचे। उनके निधन के बाद फूलपुर सीट पर हुए उपचुनाव में उनकी बहन विजयलक्ष्मी पंडित जीतीं, जिससे परिवार का संसदीय प्रतिनिधित्व जारी रहा।
आपातकाल के बाद नेहरू-गांधी परिवार का संसद से बाहर होना
1977 के आम चुनाव में आपातकाल के विरोध के कारण इंदिरा गांधी और संजय गांधी दोनों हार गए। यह पहला मौका था जब संसद में नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य मौजूद नहीं था। हालांकि, 1978 में इंदिरा गांधी ने कर्नाटक के चिकमंगलूर से जीत हासिल कर इस खालीपन को समाप्त कर दिया।
नई पीढ़ी का बढ़ता कद
मौजूदा लोकसभा में प्रियंका गांधी के साथ उनके भाई राहुल गांधी भी सांसद हैं। वहीं, उनकी मां सोनिया गांधी राज्यसभा में राजस्थान से सांसद हैं। यह पहली बार है जब गांधी परिवार के तीन सदस्य एक साथ संसद में सक्रिय हैं। इससे यह परिवार भारतीय राजनीति में अपनी प्रमुखता बनाए हुए है।
नेहरू-गांधी परिवार की संसदीय यात्रा का महत्व
नेहरू-गांधी परिवार भारतीय संसद के इतिहास में अद्वितीय स्थान रखता है। यह परिवार न केवल भारतीय राजनीति की धारा को प्रभावित करता रहा है, बल्कि इसके सदस्यों ने हर चुनौती के बीच अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। प्रियंका गांधी के संसद में आने से यह परंपरा और मजबूत हुई है।