पीओके पर जयशंकर का बयान: हवा बदली, अब इंतजार है भारत को

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पीओके को वापस लेने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों में पीओके शामिल है और इसे वापस लेने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं। यह बयान जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के सवाल के जवाब में आया, जिसमें उन्होंने पूछा था कि ऐसा करने से कौन रोक रहा है। लेख में पीओके की वर्तमान स्थिति, पाकिस्तान के नियंत्रण के बावजूद वहां के लोगों के विद्रोह, और बलूच लोगों के भारत से समर्थन मांगने की बात भी की गई है। सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई बमबारी के बाद पाकिस्तान द्वारा परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का डर भी कम हुआ है, जिससे ऐसा लगता है कि पीओके के लिए कोई तैयारी चल रही है।

Mar 12, 2025 - 11:13
पीओके पर जयशंकर का बयान: हवा बदली, अब इंतजार है भारत को
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए कश्मीर के हिस्से की वापसी का इंतजार कर रहा है। सरकार की नीतियों में पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) को वापस लेना शामिल है, और इस दिशा में वर्तमान सरकार कदम उठा सकती है।

ब्रिटेन और आयरलैंड के दौरे के दौरान जयशंकर ने कहा कि भारत ने कश्मीर में अधिकांश समस्याओं का समाधान कर लिया है और अब पीओके की वापसी का इंतजार है। इस बयान के बाद, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सवाल किया कि ऐसा करने से कौन रोक रहा है।

जयशंकर से पहले, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी संसद में कह चुके हैं कि पीओके और अक्साई चिन जम्मू-कश्मीर की नीतियों का हिस्सा हैं। सेना प्रमुख ने भी कहा है कि सेना तैयार है। केंद्र सरकार की वर्तमान नीति पिछली सरकारों से अलग है। अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और पुलवामा हमले के बाद सीमा पार बमबारी करने जैसे कदम अप्रत्याशित थे।

पीओके की वर्तमान स्थिति आर्थिक और सुरक्षा दोनों दृष्टिकोण से चिंताजनक है। यह क्षेत्र दो भागों में विभाजित है: जम्मू-कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान। 1963 में, पाकिस्तान ने काराकोरम के उत्तर में स्थित 5,000 वर्ग किमी शक्सगाम क्षेत्र को चीन को दे दिया था। चीन-पाक आर्थिक गलियारा भी इसी क्षेत्र से होकर गुजरता है, जिसका भारत विरोध करता रहा है। भारत की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पीओके को अभिन्न अंग बनाना आवश्यक है।

यह मानना गलत है कि पीओके के लोग पाकिस्तान का समर्थन करते हैं। कबायलियों द्वारा कब्जा किए गए क्षेत्र को भले ही कश्मीर के एक वर्ग ने स्वतंत्र घोषित कर दिया हो, लेकिन इसका नियंत्रण इस्लामाबाद के पास है। विधानसभा होने के बावजूद, इसके पास कोई अधिकार नहीं हैं, और पाकिस्तान ने कभी इसे अपना प्रांत घोषित करने की हिम्मत नहीं दिखाई है।

पाक नियंत्रण के बावजूद, पीओके में इस्लामाबाद के खिलाफ विद्रोह होते रहते हैं। खनिज और औषधीय संपदा से समृद्ध होने के बावजूद, यह क्षेत्र विकास से दूर है। पाकिस्तान ने इसे आतंकवादियों के प्रशिक्षण और शरणस्थली के रूप में इस्तेमाल किया है। हाल के वर्षों में, 'इंडिया जिंदाबाद' के नारे के साथ कई आंदोलन हुए हैं। 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक का भी विरोध नहीं हुआ था। 2015 के बाद से, पीओके के कई संगठन भारत सरकार द्वारा किए गए विकास की तरह अपने क्षेत्र में भी विकास चाहते हैं।

गिलगित-बाल्टिस्तान, जो पीओके का हिस्सा है, में अधिकतर बलूच हैं। बलूच लोगों में पाकिस्तान के खिलाफ मुक्ति का संघर्ष है, और बलूच विद्रोही नेता लगातार भारत से मदद मांगते हैं। पहले, ऐसे बयानों का पाकिस्तान और कई मुस्लिम देशों के साथ यूरोप और अमेरिका ने भी विरोध किया था, लेकिन इस बार पाकिस्तान को छोड़कर किसी ने विरोध नहीं किया।

सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई बमबारी के बाद, पाकिस्तान द्वारा परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का डर अब खत्म हो गया है। वर्तमान सरकार के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए, ऐसा लगता है कि पीओके के लिए कोई तैयारी चल रही है।