पलाश के पानी से खेलें होली, पाएं स्किन की बीमारियों से राहत
होली के त्योहार में रासायनिक रंगों से होने वाले नुकसान से बचने के लिए पलाश के फूलों से बने पानी का उपयोग एक बेहतर विकल्प है। आयुर्वेदिक चिकित्सक दीक्षा भावसार सावलिया के अनुसार, पलाश के फूल त्वचा को एलर्जी और संक्रमण से बचाते हैं, साथ ही शरीर को कीटाणुरहित करते हैं। यह पानी एक्जिमा, फंगल इंफेक्शन और सोरायसिस जैसी बीमारियों में भी लाभकारी है। पलाश के फूलों का पेस्ट बनाकर लगाने से त्वचा की रंगत सुधरती है और दाग-धब्बे कम होते हैं। इसके अतिरिक्त, पलाश के पानी का सेवन एसिडिटी, सिरदर्द और माइग्रेन से राहत दिलाता है। यह कफ और पित्त दोष को संतुलित कर रक्त विकारों से भी बचाता है। इस प्रकार, पलाश के फूलों से बना होली का पानी स्वास्थ्य और त्वचा दोनों के लिए फायदेमंद है।

होली के त्योहार में रासायनिक रंगों का उपयोग त्वचा के लिए हानिकारक हो सकता है, जिससे एलर्जी और संक्रमण का खतरा होता है।
आयुर्वेदिक चिकित्सक दीक्षा भावसार सावलिया के अनुसार, पलाश के फूलों से बना होली का पानी एक सुरक्षित और प्राकृतिक विकल्प है।
पलाश के पानी के फायदे
पलाश के फूल, जो गर्मी में खिलते हैं, त्वचा को हानिकारक प्रभावों से बचाते हैं और शरीर को कीटाणुरहित करते हैं।
यह पानी एक्जिमा, फंगल इंफेक्शन, सोरायसिस और त्वचा के चकत्तों को ठीक करने में भी मदद करता है।
पलाश के पानी का उपयोग कैसे करें
पलाश के फूलों को पानी में उबालकर इस पानी से स्नान करें या फिर इसे त्वचा पर लगाएं।
पलाश के फूलों का पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगाने से रंगत में सुधार होता है और दाग-धब्बे कम होते हैं।
पलाश के पानी के अन्य लाभ
पलाश के फूलों का पानी पीने से एसिडिटी, सिरदर्द और माइग्रेन से राहत मिलती है।
यह शरीर में कफ और पित्त दोष को संतुलित करता है और रक्त विकारों से बचाता है।
निष्कर्ष
पलाश के फूलों से बना होली का पानी न केवल सुरक्षित है, बल्कि त्वचा और स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। इस होली, रासायनिक रंगों से बचें और प्रकृति के इस अद्भुत उपहार का आनंद लें।