कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण: विशेषज्ञों की राय, कोर्ट में टिकना मुश्किल!
कर्नाटक सरकार के सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को 4% आरक्षण देने के फैसले पर बीजेपी ने आपत्ति जताई है, इसे असंवैधानिक बताया है। कानूनी जानकारों के अनुसार, इस फैसले का कोर्ट में टिकना मुश्किल है। यह मामला पहले भी विवादों में रहा है और वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को आरक्षण देने का अधिकार है, पर कोर्ट यह तय करेगा कि यह फैसला संविधान के दायरे में है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट के वकील ज्ञानंत सिंह के अनुसार, टेंडर में धर्म के आधार पर आरक्षण देना संविधान के अंतर्गत नहीं आता। पिछली बीजेपी सरकार ने भी मुस्लिम ओबीसी आरक्षण को खत्म कर दिया था, जिसे कोर्ट में चुनौती दी गई थी। यह मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

कर्नाटक सरकार ने सरकारी ठेकों में मुसलमानों को 4% आरक्षण दिया, जिसका बीजेपी विरोध कर रही है। बीजेपी ने इस आरक्षण को असंवैधानिक बताते हुए कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही मुस्लिम आरक्षण का एक मामला लंबित है।
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, कैबिनेट ऐसे फैसले ले सकती है, लेकिन अगर किसी को आपत्ति है तो वह कोर्ट में जा सकता है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि यह देखना होगा कि आरक्षण संवैधानिक दायरे में है या नहीं। कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण का मामला पहले भी विवादों में रहा है और फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
लोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल पीडीटी अचारी का कहना है कि राज्य सरकार आरक्षण दे सकती है, और कई राज्यों ने ऐसा किया भी है। कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में मुसलमानों को ओबीसी श्रेणी में रखा गया है, जिससे उन्हें सरकारी नौकरी और शिक्षा में आरक्षण मिलता है। इस बार नया यह है कि टेंडर प्रक्रिया में आरक्षण दिया गया है। हालांकि, इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है, जहाँ अदालत यह तय करेगी कि यह संविधान के अनुसार है या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट के वकील ज्ञानंत सिंह का कहना है कि यह मामला सरकारी नौकरी से नहीं, बल्कि टेंडर से जुड़ा है, इसलिए संवैधानिक रूप से इस आरक्षण का टिक पाना मुश्किल है। संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में आरक्षण का प्रावधान है, जो शिक्षा और सरकारी नौकरी तक ही सीमित है। टेंडर में धर्म के आधार पर आरक्षण देना संविधान के अंतर्गत 'पब्लिक एंप्लॉयमेंट' की परिभाषा में नहीं आता है। इसके अलावा, यह फैसला आर्टिकल 19(1)(जी) में दिए गए व्यापार और वाणिज्य के मौलिक अधिकार का भी उल्लंघन करता है।
सिंह ने यह भी बताया कि पिछली बीजेपी सरकार ने मुस्लिम ओबीसी आरक्षण को खत्म कर दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। उस समय सरकार ने कहा था कि धर्म के आधार पर आरक्षण असंवैधानिक है। फिलहाल, यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।