मासिक धर्म कप: सुरक्षित उपयोग और दुष्प्रभाव
इस लेख में, हमने मेंस्ट्रुअल कप के साइड इफेक्ट्स के बारे में बताया है। मेंस्ट्रुअल कप का सही तरीके से इस्तेमाल करना जरूरी है। अगर इसे सही तरीके से साफ़ नहीं किया जाता है तो इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। कुछ महिलाओं को इससे एलर्जी भी हो सकती है। लंबे समय तक अंदर रखने से टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (TSS) का खतरा भी हो सकता है। इससे पेशाब की दिक्कतें और वजाइनल ड्राइनेस की समस्या भी हो सकती है। बचाव के लिए सही साइज चुनें, हाइजीन मेंटेन रखें, ज्यादा देर तक न पहनें।

यह कप नुमा आकार का होता है, जो सिलिकॉन से बना होता है। इसे महिलाओं की वजाइना में डाला जाता है। ये काफी मुलायम भी होता है और वजाइना में जाने के बाद कप की तरह शेप में आ जाता है। इसके अंदर पीरियड्स का ब्लड जमा होने लगता है। इस्तेमाल के खतरे
अगर मेंस्ट्रुअल कप को सही तरीके से साफ नहीं किया जाता, या बार-बार हाथ धोए बिना इसे लगाया और निकाला जाता है, तो आपको इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। खासतौर पर अगर कप को लंबे समय तक बिना धोए इस्तेमाल किया जाए, तो बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन हो सकता है। कुछ महिलाओं को सिलिकॉन, लेटेक्स या रबर से एलर्जी हो सकती है, जिससे वजाइना में जलन, खुजली या रैशेज हो सकते हैं। टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (TSS) एक गंभीर संक्रमण होता है, जो लंबे समय तक मेंस्ट्रुअल कप को अंदर रखने से हो सकता है। इसके अलावा, कुछ महिलाओं को मेंस्ट्रुअल कप लगाने के बाद बार-बार पेशाब आने या हल्का दबाव महसूस होने की शिकायत होती है। कुछ महिलाओं को वजाइनल ड्राइनेस की समस्या से भी जूझना पड़ सकता है। कैसे करें बचाव
सही साइज चुनें, हाइजीन मेंटेन रखें, ज्यादा देर तक न पहनें, और अगर असहज महसूस हो तो हटा दें। मेंस्ट्रुअल कप को सी आकार में फोल्ड करके वजाइना में डाला जाता है। कप के अंदर जाने के बाद इसे छोड़ दें। अंदर जाते ही यह कप नुमा आकार में आ जाएगा और अंदर जाकर चिपक जाएगा।