लेक्स फ्रिडमैन का पीएम मोदी के साथ उपवास: एक आध्यात्मिक संवाद
अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन ने पीएम मोदी के साथ इंटरव्यू के सम्मान में 45 घंटे का उपवास रखा। उन्होंने मोदी जी से उपवास के महत्व के बारे में पूछा, जिसके जवाब में मोदी जी ने इसे अनुशासन और सोचने की क्षमता बढ़ाने का एक तरीका बताया। मोदी जी ने कहा कि भारतीय शास्त्रों में उपवास को शरीर, मन और आत्मा को ऊपर उठाने का एक साधन माना गया है। उन्होंने बताया कि उपवास के दौरान इंद्रियां अधिक संवेदनशील हो जाती हैं और सोचने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। मोदी जी ने यह भी कहा कि उपवास केवल खाना छोड़ने से कहीं बढ़कर एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है और यह आत्म-अनुशासन का एक रूप है।

फ्रिडमैन ने बताया कि उन्होंने यह उपवास इसलिए किया ताकि वे आध्यात्मिक ढंग से बातचीत कर सकें, क्योंकि उन्होंने सुना था कि मोदी जी अक्सर उपवास करते हैं। उन्होंने मोदी जी से उपवास के कारणों और उस दौरान उनके मन की स्थिति के बारे में पूछा।
मोदी जी ने फ्रिडमैन के उपवास के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत में धार्मिक परंपराएं जीवन जीने का तरीका हैं। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के हिंदू धर्म पर दिए गए व्याख्या का हवाला देते हुए कहा कि यह केवल अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन जीने की शैली है।
मोदी जी ने भारतीय शास्त्रों में शरीर, मन, बुद्धि, आत्मा और मानवता को ऊपर उठाने के महत्व पर बात की। उन्होंने बताया कि उपवास इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक उपयोगी साधन है, लेकिन यह सब कुछ नहीं है। उनके अनुसार, उपवास अनुशासन लाता है और आंतरिक व बाहरी संतुलन बनाने में मदद करता है। उन्होंने फ्रिडमैन के अनुभव का उदाहरण देते हुए बताया कि उपवास के दौरान इंद्रियां अधिक संवेदनशील हो जाती हैं, जिससे देखने और प्रतिक्रिया करने की क्षमता बढ़ जाती है।
मोदी जी ने यह भी कहा कि उपवास सोचने की प्रक्रिया को तेज कर सकता है और नया दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है, जिससे लीक से हटकर सोचने की क्षमता विकसित होती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उपवास का मतलब सिर्फ खाना छोड़ना नहीं है, बल्कि यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। वे लंबे उपवास से पहले आयुर्वेदिक और योगिक अभ्यासों से अपने शरीर को तैयार करते हैं।
मोदी जी ने उपवास को आत्म-अनुशासन और भक्ति का एक रूप बताया। उनके लिए, उपवास के दौरान भी मन आत्मनिरीक्षण करता रहता है, जिससे यह एक परिवर्तनकारी अनुभव बन जाता है। उन्होंने बताया कि उपवास का उनका अभ्यास व्यक्तिगत अनुभवों पर आधारित है और यह केवल भोजन छोड़ने से कहीं बढ़कर है। विभिन्न प्रयोगों के माध्यम से उन्होंने अपने शरीर और मन को परिष्कृत किया है, जिससे यह उनके लिए एक लंबी और अनुशासित यात्रा बन गई है।