बांग्लादेश में कट्टरवाद: यूनुस सरकार और ISI का गठजोड़, भारत के लिए बढ़ी चिंता

बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की सरकार के दौरान इस्लामी कट्टरपंथ बढ़ रहा है. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का दखल बढ़ने से क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा है. यूनुस सरकार ने चरमपंथी गुटों को बढ़ावा दिया है और आतंकियों को रिहा किया है. जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों पर प्रतिबंध हटा दिया गया है, और हिज्ब उत-तहरीर के संस्थापक सदस्य को गृह सचिव बनाया गया है. ISI पर बांग्लादेश में कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा देने और कॉक्स बाजार को हथियार तस्करी का केंद्र बनाने के आरोप हैं. पाकिस्तानी सेना के पूर्व सैनिक विद्रोहियों के लिए ट्रेनिंग कैंप चला रहे हैं, जिससे बांग्लादेश की सामाजिक सद्भावना खतरे में है.

Mar 24, 2025 - 12:08
बांग्लादेश में कट्टरवाद: यूनुस सरकार और ISI का गठजोड़, भारत के लिए बढ़ी चिंता
बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के दौरान इस्लामी कट्टरपंथ बढ़ रहा है. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का दखल भी बढ़ गया है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है.

द संडे गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार, यूनुस सरकार में चरमपंथी गुटों को बढ़ावा दिया जा रहा है. शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद कई ऐसी नीतियां अपनाई गई हैं, जो कट्टरपंथी तत्वों को मजबूत कर रही हैं. इससे भारत की चिंता बढ़ गई है.

यूनुस सरकार ने जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों पर प्रतिबंध हटा दिया है, जिन पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के आरोप हैं. जमात का छात्र संगठन इस्लामी छत्र शिबिर (ICS) भी सक्रिय हो गया है, जिस पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप हैं. यूनुस ने हिज्ब उत-तहरीर के संस्थापक सदस्य नासिमुल गनी को गृह सचिव बनाया है.

यूनुस सरकार ने कई आतंकियों को रिहा किया है, जिनमें अल कायदा से जुड़े अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) के चीफ जशीमुद्दीन रहमानी भी शामिल हैं. ABT पर धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगर्स की हत्या के आरोप हैं. ISI पर बांग्लादेश में कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा देने और कॉक्स बाजार को हथियार तस्करी का केंद्र बनाने के आरोप हैं. यहां से हथियार भारत के पूर्वोत्तर में विद्रोही समूहों तक पहुंचाए जाते हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना के पूर्व सैनिक कट्टरपंथियों और रोहिंग्या विद्रोहियों के लिए ट्रेनिंग कैंप चला रहे हैं. इंटरनेशनल सेंटर फॉर पीस स्टडीज (ICPS) के विश्लेषकों का कहना है कि इससे बांग्लादेश की सामाजिक सद्भावना खतरे में है और भारत की सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई हैं.