नवसंवत्सर: बच्चों को अपनी परंपराओं से कराएं रूबरू
नवसंवत्सर बच्चों को अपनी परंपराओं से परिचित कराने का एक उत्कृष्ट अवसर है। आजकल बच्चे विदेशी परंपराओं के बारे में अधिक जानते हैं, इसलिए उन्हें अपनी संस्कृति, धर्म और मूल्यों के बारे में बताना महत्वपूर्ण है। सनातन धर्म में प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और जीवों का सम्मान करने का महत्व है। बच्चों को समझाएं कि हर प्राणी महत्वपूर्ण है और हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए। उन्हें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बनने के लिए प्रेरित करें। परिवार के मूल्यों को समझने और उनका सम्मान करने का महत्व बताएं।

परिवार में हर बात पर पड़ोसी की तारीफ कब तक बर्दाश्त करेंगे? यही बात संस्कारों पर भी लागू होती है। नवसंवत्सर पर बच्चों में सनातन संस्कारों का विकास करें, ताकि आत्मविश्वास से भरी पीढ़ी और गर्व से उन्नत भाल वाला देश बन सके।
आजकल, बच्चे विदेशी परंपराओं के बारे में तो जानते हैं, लेकिन अपने धर्म के बारे में नहीं। अपनी परंपराओं के बारे में नई पीढ़ी को बताने का सही समय है नवसंवत्सर। यह हिंदू नववर्ष की शुरुआत है, इसलिए बच्चों को अपनी संस्कृति के बारे में बताएं।
होली, दीपावली और नवरात्र में प्रकृति के प्रति कृतज्ञता अर्पित की जाती है। बच्चों को अपनी संस्कृति में शामिल प्रकृति के बारे में बताएं। सूर्योदय से पहले उठने की सनातन परंपरा को बच्चों में डालें। सनातन धर्म में धरती माता पर सुबह पहला कदम रखने से पहले क्षमा मांगी जाती है। उन्हें कृतज्ञ भाव से धरती का सम्मान करने के बारे में बताएं, क्योंकि धरती, सूर्य और पेड़-पौधे हमारे जीवन में बहुत योगदान करते हैं।
आजकल बच्चे हर बात का लॉजिक समझते हैं, इसलिए उन्हें पूरी बात बताएं। अगर आपका लॉजिक उनकी सोच से मिल गया, तो वे आपके संस्कारों को आसानी से अपना लेंगे।
आज मनुष्य खुद को सर्वशक्तिमान मानकर अन्य प्राणियों का निरादर करने लगे हैं। बच्चों को समझाएं कि यह धरती सिर्फ इंसानों के लिए नहीं है। ईश्वर ने जीवों को भी इस धरती का अहम हिस्सा बनाया है। सिर्फ पालतू जानवर ही नहीं, बल्कि तितली, भंवरे, हाथी और समुद्री जीव भी जरूरी हैं। मनुष्य जीवों को नुकसान न पहुंचाए, इसलिए हमारी परंपराओं में जीवों को देवताओं के वाहन और अवतार के रूप में बताया गया है।
पौराणिक कथाओं में हर देवता शक्ति के साथ आता है। इसलिए बच्चों को बताएं कि हम सब किसी न किसी क्षमता के साथ पैदा हुए हैं। उन्हें शरीर को बलशाली बनाने, मन को नियंत्रित करने और भावनात्मक क्षमता को मजबूत करने के लिए प्रेरित करें। उन्हें बताएं कि क्षमा उसी को शोभा देती है जिसके पास शक्ति हो।
हमारी संस्कृति का पहला पाठ है परिवार के मूल्यों को समझना। भगवान श्रीराम भी बाल्यकाल में अपने परिवार के बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करते थे। बच्चों को ऐसी कहानियों और किताबों से समझाएं। कई प्रकाशक और एप हैं जो हमारी संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में मदद कर रहे हैं।