मां और आईएएस: दिव्या मित्तल की प्रेरणादायक कहानी
आईएएस दिव्या मित्तल ने अपनी मदरहुड यात्रा साझा करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने अपनी डिमांडिंग नौकरी और मां होने की जिम्मेदारियों को संतुलित किया। उन्होंने समाज के दबावों का सामना कर रही अपनी बेटी के आत्मविश्वास को बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया। मित्तल ने कहा कि मां बनने के बाद आने वाली चुनौतियों के लिए वो तैयार नहीं थीं और उन्हें कई बार गिल्ट भी होता है। उन्होंने महिलाओं को अपनी उपलब्धियों पर गर्व करने और नकारात्मकता का सामना करने के बावजूद इंसानियत में विश्वास बनाए रखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि एक मां अपने बच्चे को जो प्यार दे सकती है वो कोई और नहीं दे सकता।

आईएएस दिव्या मित्तल ने अपनी मदरहुड यात्रा के बारे में बताते हुए कहा कि यह उनके लिए कितना मुश्किल रहा। उन्होंने बताया कि अपनी डिमांडिंग जॉब के कारण उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ती है और कई बार उन्हें ऐसा लगता है कि उनसे कोई गलती हो रही है या वो सही कर रही हैं या नहीं।
दिव्या मित्तल ने कहा कि चाहे आप कितने ही बड़े मुकाम पर पहुंच जाएं, आपको अपने बच्चे की परवरिश खुद ही करनी पड़ती है। एक मां जो प्यार और दुलार अपने बच्चे को दे सकती है, वो कोई और नहीं दे सकता। लोगों को लगता होगा कि ऊंची पोस्ट पर बैठी महिलाओं को मदरहुड में उतनी परेशानियां नहीं आतीं जितनी आम औरतों को आती हैं, लेकिन ऐसा नहीं है।
आईएएस ऑफिसर दिव्या मित्तल ने एक्स पर पोस्ट करके अपनी मदरहुड यात्रा के बारे में बताया। दिव्या ने कहा कि वो मां बनने के बाद आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार नहीं थीं। उनकी आठ साल की बेटी को सोसायटी प्रेशर से जूझना पड़ रहा था, इसलिए उन्होंने उसके कॉन्फिडेंस को बढ़ाने का काम किया, जबकि उनकी खुद की जॉब बहुत ज्यादा डिमांडिंग है।
अपनी पोस्ट में, मित्तल ने खुलासा किया कि उनकी आठ साल की बेटी पहले से ही सामाजिक दबावों का सामना कर रही है, जो लोग राय व्यक्त करने पर उसकी आवाज को दबाने की कोशिश करते हैं। मित्तल ने इस बात पर जोर दिया कि बेटी के आत्मविश्वास को बनाए रखना कितना जरूरी है।
दिव्या ने यह भी कहा कि उन्हें अपनी बेटी के साथ बिताए पलों से काफी सुकून मिलता है। वो उन्हें अपना हीरो मानती हैं और इससे उन्हें काफी मोटिवेशन मिलती है। मित्तल का मानना है कि जब बच्चे अपने माता-पिता को चुनौतियों का सामना करते समय दृढ़ता दिखाते हुए देखते हैं, तो वे यह अमूल्य सबक सीखते हैं कि गिरना गलत नहीं है, लेकिन खड़े होना जरूरी है।
मित्तल ने मदरहुड से जुड़े गिल्ट के बारे में भी बताया, जो अक्सर मांओं को यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि वे पर्याप्त नहीं हैं या उनसे कोई गलती हो रही है। उन्होंने मांओं को खुद को माफ करने और यह समझने के लिए प्रोत्साहित किया कि वे अपने अनोखे तरीकों से एक ऐसा संसार बना रही हैं, जहां उनके बच्चे अपने हर सपने को पूरा कर सकते हैं।
दिव्या का कहना है कि भले ही आपको कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता हो, लेकिन आपको अपनी उपलब्धियों पर भी गर्व करना चाहिए। हर इंसान की जर्नी अलग होती है और उन्हें अलग-अलग मुश्किलें आती हैं। वह यह भी मानती हैं कि नकारात्मकता का सामना करने के बावजूद इंसानियत में विश्वास बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
दिव्या मित्तल की इस जर्नी और एक्सपीरियंस से पता चलता है कि एक औरत भले ही कितनी ऊंची पोस्ट पर पहुंच जाए, उसे मां बनने के बाद मुश्किलों और चुनौतियों का सामना करना ही पड़ता है और उन्हें अपने करियर के साथ-साथ अपने परिवार और बच्चों को भी संभालना पड़ता है।