भाग्यश्री: लैंगिक भेदभाव नहीं, बेटों को भी सिखाएं घर के काम
बॉलीवुड एक्ट्रेस भाग्यश्री ने पेरेंट्स को सलाह दी है कि बेटे और बेटियों में अंतर नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से बच्चों में एकदूसरे के प्रति समान भावना पैदा होगी। भाग्यश्री 90 के दशक की टॉप एक्ट्रेसस में से एक हैं। उनकी फिटनेस को देखकर उम्र का अनुमान लगाना मुश्किल है। फिलहाल एक्ट्रेस दो बच्चों की मां हैं और सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हुए पेरेंटिंग टिप्स शेयर करती रहती हैं। हाल ही में उन्होंने मदरहुड जर्नी और पेरेंटिंग को लेकर खुलकर बात की। विशेषज्ञ मानते हैं कि बेटियों की तरह बेटाें को भी घर के छोटे मोटे काम सिखाने चाहिए। खाना पकाना ही नहीं, बल्कि उन्हें घर की साफ सफाई, कपड़े धोना और चीजों को मैनेज करना भी सिखाएं।

भाग्यश्री 90 के दशक की लोकप्रिय अभिनेत्रियों में से एक हैं। उनकी फिटनेस को देखकर उनकी उम्र का अंदाजा लगाना मुश्किल है। वर्तमान में, वह दो बच्चों की माँ हैं और सोशल मीडिया पर सक्रिय रूप से पेरेंटिंग टिप्स साझा करती रहती हैं। हाल ही में, उन्होंने मातृत्व और पेरेंटिंग के बारे में खुलकर बात की।
एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि एक माँ को घर की जिम्मेदारियों को निभाते हुए अपने सपनों को साकार करने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि वह हमेशा लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में विश्वास रखती हैं। तो आइए जानते हैं कि भाग्यश्री ने अपने बच्चों का पालन-पोषण कैसे किया और आप उनसे क्या सीख सकते हैं।
भाग्यश्री ने अपने बच्चों को कभी भी नैनी के भरोसे नहीं छोड़ा। उनका मानना है कि एक माँ के लिए काम और घर की जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाना बहुत मुश्किल होता है। यह एक ऐसी लड़ाई है जिसे हर दिन जीतना होता है। परिवार में सभी लोग थे, लेकिन भाग्यश्री अपने बच्चों का पालन-पोषण खुद करना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने अपने बच्चों को कभी भी नैनी के भरोसे नहीं छोड़ा। वह अपनी बेटी को फिल्म सेट पर भी साथ ले जाती थीं।
भाग्यश्री का कहना है कि बेटे और बेटी के बीच लैंगिक समानता होनी चाहिए। बेटियों के साथ-साथ बेटों को भी घर के कामों को संभालना सिखाना ज़रूरी है, जैसे कि उन्हें खाना बनाना सिखाना। इससे बच्चों को न केवल आनंद मिलता है, बल्कि उनमें समानता की गहरी भावना भी विकसित होती है।
भाग्यश्री ने बताया कि उन्होंने अपने बच्चों को शुरू से ही समानता की शिक्षा दी है। उन्होंने कभी भी अपनी बेटी से यह नहीं कहा कि 'भाई थका हुआ आया है, उसे पानी दो'। भाग्यश्री का मानना है कि माता-पिता का ऐसा कहना बेटियों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बेटियों की तरह बेटों को भी घर के छोटे-मोटे काम सिखाने चाहिए। उन्हें न केवल खाना बनाना सिखाना चाहिए, बल्कि घर की साफ-सफाई, कपड़े धोना और चीजों को व्यवस्थित करना भी सिखाना चाहिए।
बेटों को घर के काम सिखाने से उनमें जिम्मेदारी की भावना पैदा होती है। इतना ही नहीं, घर के काम करने से उनमें संतुष्टि की भावना भी विकसित होती है और ऐसे बच्चे नैतिक मूल्यों को सीखते हैं।