गरीबी के दिनों को याद कर भावुक हुए बागेश्वर बाबा
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री मेरठ में हनुमत कथा सुनाते हुए भावुक हो गए। उन्होंने अपने बचपन के गरीबी और संघर्ष के दिनों को याद किया। उन्होंने कहा कि वे नहीं चाहते कि उनके भक्तों को वैसे दिन देखने पड़ें जैसे उन्होंने देखे। उन्होंने हिंदू राष्ट्र के लिए काम करने और गरीब बेटियों की शादी कराने की बात कही। उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें फटे कपड़ों के कारण कार्यक्रमों में बुलाने से कतराते थे और कोई उन्हें पढ़ाई के लिए पैसे उधार नहीं देता था। आज बालाजी की कृपा से उनकी स्थिति बदल गई है।

उन्होंने यह भी कहा कि वे चाहते हैं कि उनके भक्तों को वो दुख न झेलने पड़ें जो उन्होंने झेले हैं। उन्होंने हिंदू राष्ट्र के लिए काम करने और गरीब बेटियों की शादी कराने की बात भी कही।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने जागृति विहार एक्सटेंशन में श्री हनुमत कथा के दौरान अपने पुराने दिनों की बातें कीं। अपने संघर्षों के बारे में बताते हुए वे भावुक हो गए, जिससे वहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं।
धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि एक समय था जब उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। लोग उन्हें कार्यक्रमों में बुलाने से कतराते थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि फटे कपड़ों में आने पर उनकी बेइज्जती होगी। गांव का सरपंच भी उनकी बात नहीं सुनता था। उन्हें पढ़ाई के लिए एक हजार रुपये भी उधार नहीं मिलते थे, क्योंकि किसी को भरोसा नहीं था कि वे पैसे वापस कर पाएंगे। लेकिन आज बालाजी की कृपा से उनकी स्थिति बदल गई है, और आज उनके पिताजी के नाम से ही लोगों के काम हो जाते हैं।
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि वे नहीं चाहते कि उनके बालाजी का कोई भी भक्त वो दिन देखे जो उन्होंने देखे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर परमात्मा की कृपा रही, तो वे ये प्रण लेंगे कि किसी भी भाई को अपनी बहन की शादी के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। शास्त्री ने दुख जताते हुए कहा कि वे अपनी मां से मिल भी नहीं पाते और न ही उनकी सेवा कर पाते हैं, क्योंकि वे हिंदू राष्ट्र के लिए पदयात्रा और दूसरे सेवा कार्यों में व्यस्त रहते हैं।
बागेश्वर बाबा ने कहा कि उनकी मां हमेशा उन्हें भगवान राम को न छोड़ने की सलाह देती हैं। वे उन्हें भरोसा दिलाती थीं कि एक दिन उनके अच्छे दिन जरूर आएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया में इज्जत वही पाते हैं जो अमीर या फेमस होते हैं, साधारण और गरीब लोगों को कोई नहीं पूछता, गरीब तो सिर्फ ताली बजाने के लिए होते हैं। उन्होंने अपने संघर्षों को बयां करते हुए एक शायरी भी सुनाई।