दुश्मन को मात देने वाले प्रचंड हेलीकॉप्टर: सेना और वायुसेना को मिलेंगे
रक्षा मंत्रालय ने HAL के साथ 156 प्रचंड हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के लिए अनुबंध किया है। ये हेलीकॉप्टर एक महीने के बाद सेना और वायुसेना को सौंप दिए जाएंगे। स्वदेशी हेलीकॉप्टर अत्याधुनिक तकनीक और मिसाइल प्रणालियों से लैस हैं। इन हेलीकॉप्टरों की कॉम्बैट रेडियस 500 किमी और अधिकतम गति 330 किमी/घंटा है। सुरक्षा पर कैबिनेट समिति से मंजूरी मिली। रक्षा मंत्रालय ने एचएएल के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। ये हेलीकॉप्टर उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बेहद प्रभावी हैं। 90 प्रचंड हेलीकॉप्टर भारतीय सेना को और 66 प्रचंड हेलीकॉप्टर वायुसेना को मिलेंगे।

पूनम पाण्डे द्वारा रिपोर्ट, अशोक उपाध्याय द्वारा संपादित। नवभारत टाइम्स, 28 मार्च 2025, रात 9:23 बजे।
प्रचंड हेलीकॉप्टर: रक्षा मंत्रालय ने एचएएल के साथ 156 प्रचंड हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के लिए अनुबंध किया है। ये हेलीकॉप्टर एक महीने के बाद सेना और वायुसेना को सौंप दिए जाएंगे। स्वदेशी हेलीकॉप्टर अत्याधुनिक तकनीक और मिसाइल प्रणालियों से लैस हैं। इन हेलीकॉप्टरों की कॉम्बैट रेडियस 500 किमी और अधिकतम गति 330 किमी/घंटा है।
मुख्य विशेषताएं:
सुरक्षा पर कैबिनेट समिति से मंजूरी मिली।
रक्षा मंत्रालय ने एचएएल के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।
ये हेलीकॉप्टर उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बेहद प्रभावी हैं।
90 प्रचंड हेलीकॉप्टर भारतीय सेना को और 66 प्रचंड हेलीकॉप्टर वायुसेना को मिलेंगे।
नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय ने एचएएल के साथ 156 प्रचंड हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता सुरक्षा पर कैबिनेट समिति की मंजूरी के बाद किया गया। इसके तहत 90 प्रचंड हेलीकॉप्टर भारतीय सेना को और 66 वायुसेना को मिलेंगे। वर्तमान में, वायुसेना के पास 10 और सेना के पास 5 प्रचंड हेलीकॉप्टर हैं। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, मंत्रालय ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ दो अनुबंध किए हैं, जिनके तहत 156 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) प्रचंड की आपूर्ति की जाएगी। इसमें प्रशिक्षण और अन्य संबंधित उपकरण शामिल हैं। इन अनुबंधों की कुल लागत 62700 करोड़ रुपये (करों को छोड़कर) है। पहले अनुबंध में वायुसेना के लिए 66 एलसीएच की आपूर्ति और दूसरे अनुबंध में सेना के लिए 90 एलसीएच की आपूर्ति शामिल है। इन हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति तीन साल बाद शुरू होगी और अगले पांच वर्षों में पूरी की जाएगी।
प्रचंड हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर पहले स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टर हैं। सेना के हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर में 20 मिमी की गन, 70 मिमी का रॉकेट, एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल हेलिना और एक एयर-टू-एयर मिसाइल होगी। यह मिसाइल वायुसेना के हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर में लगने वाली मिसाइल से अलग होगी। वायुसेना को मिलने वाले हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर में फ्रांस की मिस्ट्राल-2 मिसाइलें लगेंगी। स्वदेशी हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर प्रचंड को एचएएल ने डिजाइन और विकसित किया है। इसका वजन 5.8 टन है। हल्के वजन का फायदा यह है कि यह उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी अपनी पूरी क्षमता से मिसाइलों और अन्य हथियारों के साथ आसानी से काम कर सकता है।
विशेषताएं क्या हैं?
कारगिल युद्ध के समय से ही हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। यह दुनिया का एकमात्र अटैक हेलीकॉप्टर है जो 5,000 मीटर की ऊंचाई पर हथियारों और ईंधन के साथ उड़ान भरने और उतरने में सक्षम है। इससे सेना की उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मारक क्षमता काफी बढ़ जाती है। इसकी कॉम्बैट रेडियस 500 किलोमीटर है। यह 21 हजार फीट तक की ऊंचाई तक काम कर सकता है। इसकी अधिकतम गति 330 किमी प्रति घंटा है। प्रचंड दुनिया का पहला ऐसा अटैक हेलीकॉप्टर है जो सियाचिन जैसे इलाके में भी पूरी क्षमता से काम कर सकता है।
दुश्मन के रडार में आना मुश्किल
प्रचंड में दुश्मन को चकमा देने के लिए ऐसी विशेषताएं हैं कि यह आसानी से दुश्मन के रडार की पकड़ में नहीं आएगा। इसके शरीर और रोटर पर गोली का कोई खास असर नहीं होगा। इसमें पायलट हेलमेट माउंटेड साइट है और इंफ्रारेड साइटिंग सिस्टम के माध्यम से जमीन और हवा में किसी भी लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाया जा सकता है। यह हेलीकॉप्टर सेल्फ प्रोटेक्शन सूट से लैस है, जिसमें रडार और लेजर मिसाइल वार्निंग सिस्टम लगा हुआ है। यह कम दृश्यता में दिन-रात किसी भी मौसम में काम कर सकता है। इसका उपयोग एंटी इन्फेंट्री (पैदल सेना के खिलाफ), एंटी आर्मर (सेना को ले जाने वाले वाहनों के खिलाफ) और एंटी यूएवी के रूप में किया जा सकता है। इसका उपयोग आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी किया जा सकता है।