रहमान का इस्लाम धर्म अपनाना: गुलबर्गा के फकीरों का योगदान

निर्देशक राजीव मेनन ने बताया कि एआर रहमान कैसे हिंदू धर्म से इस्लाम में परिवर्तित हुए। उन्होंने कहा कि गुलबर्गा के फकीरों ने रहमान के परिवार को इस्लाम अपनाने में मदद की और रहमान पर परिवार का दबाव भी था। रहमान, जिनका पहले नाम आरएस दिलीप कुमार था, ने अपनी माँ के साथ इस्लाम धर्म स्वीकार किया था। धर्म परिवर्तन के समय उनकी उम्र 23 वर्ष थी। राजीव मेनन ने कहा कि गुलबर्गा के फकीरों ने रहमान के घर जाकर उनके परिवार को इस्लाम अपनाने में मदद की थी। रहमान ने एक साक्षात्कार में कहा कि वह हमेशा से अपना नाम बदलना चाहते थे क्योंकि उन्हें अपने बचपन के नाम से कोई जुड़ाव महसूस नहीं होता था.

Mar 18, 2025 - 17:11
रहमान का इस्लाम धर्म अपनाना: गुलबर्गा के फकीरों का योगदान
निर्देशक राजीव मेनन ने खुलासा किया कि एआर रहमान कैसे हिंदू धर्म से इस्लाम में परिवर्तित हुए। उन्होंने बताया कि गुलबर्गा से आए फकीरों ने रहमान के परिवार को इस्लाम अपनाने में मदद की और रहमान पर पारिवारिक दबाव भी था।

राजीव मेनन, जो एआर रहमान के मित्र और निर्देशक हैं, ने बताया कि रहमान का परिवार कैसे मुस्लिम बना। उनके अनुसार, गुलबर्गा के फकीर रहमान के घर आए और परिवार को इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित किया। मेनन ने यह भी कहा कि रहमान पर अपने परिवार की ओर से काफी दबाव था।

मुख्य बातें:
राजीव मेनन ने बताया कि एआर रहमान कैसे मुस्लिम बने।
गुलबर्गा के फकीरों ने रहमान के परिवार को इस्लाम अपनाने में सहायता की।
रहमान पर परिवार का काफी दबाव था।

एआर रहमान, जिनका पहले नाम आरएस दिलीप कुमार था, ने अपनी माँ के साथ इस्लाम धर्म स्वीकार किया था। धर्म परिवर्तन के समय उनकी उम्र 23 वर्ष थी। राजीव मेनन ने बताया कि गुलबर्गा के फकीरों ने रहमान के घर जाकर उनके परिवार को इस्लाम अपनाने में मदद की थी।

राजीव मेनन और एआर रहमान की दोस्ती फिल्म 'रोजा' से पहले की है। राजीव ने रहमान के साथ कई विज्ञापनों में भी काम किया था। 'O2 इंडिया' को दिए एक साक्षात्कार में, राजीव मेनन ने बताया कि दिलीप कुमार के रूप में जन्मे रहमान कैसे इस्लाम की ओर आकर्षित हुए।

राजीव मेनन के अनुसार, गुलबर्गा के फकीर रहमान के घर इस्लाम अपनाने में मदद करने के लिए आए थे। उस समय, राजीव ने संगीतकार के परिवार के लिए अनुवादक की भूमिका निभाई थी क्योंकि वे हिंदी नहीं जानते थे। उन्होंने रहमान के परिवार में धर्म और आस्था के प्रति बदलाव देखा और यह भी देखा कि रहमान को अपनी बहनों की शादी के बाद परिवार के भीतर कितना दबाव झेलना पड़ा था।

इसके अतिरिक्त, महेश आनंद के जीवन के बारे में भी जानकारी दी गई है, जिसमें उनकी दुखद मृत्यु और व्यक्तिगत जीवन में कठिनाइयों का उल्लेख है।

एआर रहमान के पिता हिंदू थे, जबकि उनकी माँ मुस्लिम थीं। 1984 में अपनी बहन के गंभीर रूप से बीमार होने के बाद, रहमान ने अपने परिवार के साथ इस्लाम धर्म अपना लिया। रहमान ने एक साक्षात्कार में कहा कि वह हमेशा से अपना नाम बदलना चाहते थे क्योंकि उन्हें अपने बचपन के नाम से कोई जुड़ाव महसूस नहीं होता था।

अपने पुराने नाम 'आरएस दिलीप कुमार' के बारे में रहमान ने कहा कि उन्हें यह नाम कभी पसंद नहीं आया और यह उनकी छवि से मेल नहीं खाता था।