गर्भावस्था में पपीता और अनानास: पहली तिमाही में सावधानी
गर्भावस्था में महिलाओं को खान-पान पर ध्यान देना चाहिए। सोशल मीडिया दावों के अनुसार, पहली तिमाही में अनानास और पपीता से गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है। डॉ. मंजू गोयल के अनुसार, इस दौरान भ्रूण विकसित हो रहा होता है, इसलिए कच्चा पपीता (लेटेक्स, पपेन) और अनानास (ब्रोमेलैन) से बचना चाहिए, क्योंकि ये गर्भाशय को नुकसान पहुंचा सकते हैं। गर्भावस्था में हानिकारक खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए।

सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावों के अनुसार, गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में महिलाओं को अनानास और पपीता का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है।
जयपुर के नारायणा हॉस्पिटल की ऑब्स्टेट्रिशियन और गायनेकोलॉजी की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मंजू गोयल इस दावे का समर्थन करती हैं। उनके अनुसार, गर्भावस्था की पहली तिमाही में महिलाओं को अपनी सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए, क्योंकि इस दौरान भ्रूण का विकास हो रहा होता है और कुछ खाद्य पदार्थ भ्रूण के विकास में बाधा डाल सकते हैं। इसलिए, कच्चा पपीता और अनानास खाने से बचना चाहिए।
कच्चे पपीते में लेटेक्स की मात्रा अधिक होती है, जो गर्भाशय के संकुचन को उत्तेजित कर सकता है। इसके अतिरिक्त, इसमें पपेन नामक एक एंजाइम होता है, जो भ्रूण के विकास को रोक सकता है। पके पपीते का सेवन अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जाता है।
अनानास में ब्रोमेलैन नामक एंजाइम होता है, जो प्रोटीन को तोड़ने के लिए जाना जाता है। यह एंजाइम गर्भाशय ग्रीवा को नरम कर सकता है, जिससे समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ जाता है।
डॉक्टरों का सुझाव है कि गर्भावस्था के दौरान उन खाद्य पदार्थों से दूर रहना चाहिए जो मां और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान पपीता और अनानास जैसे फलों से परहेज करना बेहतर है।