तुलसी निकेतन में बनेगी बहुमंजिला इमारत, प्रस्ताव जीडीए बोर्ड में
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) तुलसी निकेतन में बहुमंजिला इमारत बनाने की योजना बना रहा है, जिससे 1990 में स्थापित कॉलोनी के जर्जर मकानों को बदला जा सके।जीडीए बोर्ड की बैठक में इस प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा, जिससे निवासियों को सुविधा मिलने की उम्मीद है। जीडीए ने 8 हेक्टेयर भूमि पर 2004 ईडब्ल्यूएस और 288 एलआईजी फ्लैटों का निर्माण करके तुलसी निकेतन कॉलोनी की स्थापना की थी, लेकिन मरम्मत के अभाव में इमारतें जर्जर हो गईं।निवासियों को नोटिस देने के बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ, इसलिए जीडीए ने पुरानी इमारतों को ध्वस्त करके नई बहुमंजिला इमारतें बनाने की योजना बनाई है।अगर बोर्ड बैठक में प्रस्ताव मंजूर होता है, तो इसे निजी-सार्वजनिक भागीदारी से बनाया जाएगा, जिससे हजारों निवासियों को लाभ होगा।

मुख्य बातें:
- जीडीए ने तुलसी निकेतन भवन योजना पर ध्यान दिया।
- योजना के तहत बने फ्लैट्स की हालत खस्ता हो चुकी है।
- नई बहुमंजिला इमारत बनाने का प्रस्ताव तैयार।
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की मंगलवार को होने वाली बोर्ड बैठक में यह अहम फैसला लिया जा सकता है। तुलसी निकेतन में जर्जर मकानों को तोड़कर बहुमंजिला इमारत बनाने का प्रस्ताव है। इस योजना से हजारों लोगों को लाभ मिलने की संभावना है, क्योंकि तुलसी निकेतन योजना के तहत बने मकानों में रहने वाले लोग इस बोर्ड बैठक से काफी उम्मीदें लगाए बैठे हैं।
बोर्ड बैठक में जाएगा प्रस्ताव
वर्ष 1990 में, जीडीए ने लगभग 8 हेक्टेयर भूमि पर 2004 ईडब्ल्यूएस और 288 एलआईजी फ्लैटों का निर्माण करके तुलसी निकेतन कॉलोनी की स्थापना की थी। फ्लैटों के आवंटन के बाद निवासियों ने इमारतों की मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया, जिसके कारण वे जर्जर हो गईं। प्लास्टर गिरने लगा। जामिया मिलिया इस्लामिया की टीम ने निरीक्षण के दौरान पाया कि इमारतें जर्जर हालत में हैं। हर मानसून के दौरान मकानों के गिरने का खतरा बना रहता है।
जीडीए ने निवासियों को इमारतों की जर्जर स्थिति के बारे में कई नोटिस जारी किए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। नतीजतन, जीडीए ने पुरानी इमारतों को ध्वस्त करने और लोगों को फ्लैट प्रदान करने के लिए दो बहुमंजिला इमारतों के निर्माण की योजना बनाई। जीडीए ने इस योजना को तैयार तो किया, लेकिन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
हजारों लोगों को होगा फायदा
तुलसी निकेतन में मकान बेहद जर्जर स्थिति में हैं और कभी भी ताश के पत्तों की तरह ढह सकते हैं। निवासी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। आगामी बैठक में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाए जाने की उम्मीद है। अगर बोर्ड बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है, तो इसे निजी-सार्वजनिक भागीदारी के माध्यम से बनाया जाएगा, जिससे हजारों निवासियों को लाभ होगा।