फ्रांस के परमाणु हथियार: क्या रूस से यूरोप की रक्षा कर पाएगा फ्रांस?

यूरोप में सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं क्योंकि अमेरिका से सुरक्षा आश्वासन कम हो रहा है। यूरोपीय देश अब फ्रांस की परमाणु क्षमता पर निर्भर हो रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद कई यूरोपीय देशों को अमेरिका पर शक है। नीदरलैंड के रक्षा मंत्री रूबेन ब्रेकेलमैन्स ने कहा कि अमेरिका एशिया पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, इसलिए यूरोप को मिलकर काम करना चाहिए। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि यूरोप का भविष्य वाशिंगटन या मॉस्को में तय नहीं होना चाहिए। पोलैंड और जर्मनी भी फ्रांस के साथ इस विषय पर बात कर रहे हैं।

Mar 19, 2025 - 10:58
फ्रांस के परमाणु हथियार: क्या रूस से यूरोप की रक्षा कर पाएगा फ्रांस?
यूरोप को अमेरिका से सुरक्षा आश्वासन कम होने के चलते फ्रांस की परमाणु क्षमता पर निर्भरता बढ़ रही है। ट्रंप प्रशासन की नीतियों के कारण यूरोपीय देशों को चिंता है कि अमेरिका शायद उनकी रक्षा के लिए आगे नहीं आएगा। ऐसे में, फ्रांस की परमाणु क्षमता ही यूरोप को बचाने की उम्मीद है।

यूरोप अभूतपूर्व खतरे का सामना कर रहा है, और नाटो सदस्य होने के बावजूद कई देशों को अमेरिका पर शक है। ट्रंप की आलोचनाओं और अमेरिका द्वारा न्यूक्लियर अंब्रेला प्रदान न करने की आशंका ने इस डर को और बढ़ाया है। इसलिए सवाल उठता है कि क्या फ्रांस, अमेरिका के बिना, यूरोप की रक्षा कर सकता है।

नीदरलैंड के रक्षा मंत्री रूबेन ब्रेकेलमैन्स ने रायसीना डायलॉग में कहा कि अमेरिका एशिया पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, इसलिए यूरोप को एकजुट होकर काम करना होगा। हालांकि, विशेषज्ञों को संदेह है कि क्या फ्रांस का परमाणु छत्र यूरोप को सुरक्षा दे पाएगा।

रूस और अमेरिका के पास दुनिया के सबसे बड़े परमाणु शस्त्रागार हैं, जिनमें लगभग 10,000 हथियार हैं। फ्रांस के पास लगभग 300 परमाणु हथियार हैं, जबकि ब्रिटेन के पास 250 हैं। फ्रांस ने अपने हथियार खुद विकसित किए हैं, जबकि ब्रिटेन अमेरिकी तकनीकी जानकारी पर निर्भर है।

फ्रांस पनडुब्बियों, लड़ाकू जेटों और बमवर्षक विमानों से हमला करने में सक्षम है। प्रोफेसर क्रिस्टोफ़ वासिंस्की के अनुसार, फ्रांस का शस्त्रागार स्वायत्त है, जबकि ब्रिटेन को अमेरिकी मदद की आवश्यकता है। ब्रिटेन के परमाणु हथियारों पर अमेरिका का नियंत्रण है, और कई विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के विरोध करने पर ब्रिटेन इनका इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। फ्रांस ने केवल अपने महत्वपूर्ण हितों को खतरे में पड़ने पर ही परमाणु हथियारों का उपयोग करने की कसम खाई है।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने फ्रांस के राष्ट्रीय हितों के “एक यूरोपीय आयाम” की बात कही है और यूरोपीय सहयोगियों की रक्षा के लिए रणनीतिक बहस की घोषणा की है। मैक्रों का मानना है कि यूरोप का भविष्य वाशिंगटन या मॉस्को में तय नहीं होना चाहिए, जिससे पता चलता है कि फ्रांस यूरोप को अपने परमाणु छत्र के नीचे लेने के लिए तैयार है।

पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने कहा है कि उनका देश फ्रांस के साथ गंभीरता से बात कर रहा है, और जर्मनी के संभावित चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने भी इसी तरह की बातचीत के लिए तत्परता दिखाई है। मर्ज ने कहा कि यूरोप को अपनी रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए, ताकि वह अपने दम पर यूरोपीय महाद्वीप की रक्षा कर सके।